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महिला एवं बाल कल्याण विभाग

महिला एवं बाल कल्याण विभाग विभाग का उद्धेश्य एवं उपादेयता

महिलाओं और बच्चों के विकास को गति देने के उद्देश्य से भारत सरकार मानव संसाधन विकास मंत्रालय के एक हिस्से के रूप में महिला एवं बाल विकास विभाग की स्थापना वर्ष 1989 में हुई है। महिला को सशक्त करने के उद्देश्य से प्रदेश सरकार द्वारा वर्ष 1989 में पूर्ण कालिक महिला एवं बाल विकास विभाग की स्थापना की गयी महिलाओं के कल्याण सम्बन्धी कार्यक्रमों में गति शीलता लाने के उद्देश्य से राज्य स्तर पर महिला कल्याण निदेशालय एवं बाल विकास पुष्टाहार, निदेशालय की स्थापना की गयी है। वर्ष 2013 में शासन द्वारा दो विभागों को पृथक कर महिला एवं बाल विकास पुष्टाहार व महिला कल्याण विभाग अलग-अलग बना दिया गया है। अनाथालय एवं आन्य पूर्त आश्रम ( पर्यवेक्षण एवं नियंत्रण 1960) के अन्तर्गत स्थापित उत्तर प्रदेश नियंत्रण बोर्ड एवं केन्द्रीय समाज कल्याण बोर्ड की राज्य इकाई के रूप में राज्य सरकार द्वारा स्थापित राज्य समाज कल्याण बोर्ड को भी महिला एवं बाल विकास विभाग के नियंत्रणाधीन रक्खा गया है।

महिला एवं बाल कल्याण विभाग द्वारा चलाई जा रही योजनाएं

उ0प्र0 रानी लक्ष्मीबाई महिला एवं बाल सम्मान कोष

उ0प्र0 राज्य महिला सशक्तिकरण मिशन के अधीन उ0प्र0 रानी लक्ष्मीबाई महिला एवं बाल सम्मान कोष का क्रियान्वयन वर्ष 2015-16 के सरकार के चिन्हित कार्यक्रमों में से एक है। कोष का संचालन जघन्य हिंसा की शिकार महिलाओं/बालिकाओं को तत्कालिक आर्थिक एंव चिकित्सीय राहत उपलब्ध कराये जाने हेतु किया जा रहा है।
उ0प्र0 रानी लक्ष्मीबाई महिला एवं बाल सम्मान कोष अन्तर्गत महिला अपराधों से सम्बन्धित नौ धाराओं में पीड़िताओं को आर्थिक सहायता प्रदान किये जाने का प्राविधान है-
1. धारा 326क (तेजाब का उपयोग करने जानबूझकर गहरी चोट पहुचाना),
2. धारा 304 ख (दहेज मृत्यु),
3.धारा 376 क (बलात्कार जिसके परिणाम स्वरूप पीड़िता की मृत्यु हो जाय या वह स्थायी निष्क्रियता की अवस्था मे पहुच जाय),
4.धारा 376 ग (किसी प्राधिकारवान द्वारा किया गया यौनिक समागम),
5.धारा 376 घ (सामूहिक बलात्कार),
6.धारा 4 पाक्सो (प्रवेशक लैंगिक प्रहार),
7.धारा 6 पाक्सो (गंभीर प्रवेशक लैंगिक प्रहार),
8.धारा 14 पाक्सो (अश्लील प्रयोजनो हेतु बच्चो का उपयोग),
9.भारतीय दण्ड संहिता की धारा 302 के साथ पठित पाक्सो की धारा 4 या धारा 6 या (पेनेट्रेटिव लैंगिक हमले के साथ अवयस्क की मृत्यु) की पीड़िताओं को आर्थिक सहायता प्रदान किये जाने का प्राविधान है।

बेटी बचाओं बेटी पढाओं

बेटी बचाओं बेटी पढाओं का उददेश्य महिलाओं के कल्याण के लिय सेवाओं की दक्षता में सुधार करना एवं महिलाओं को उनके अधिकारों प्रति जागरूक बढाना है। एवं कन्या भ्रूण हत्या को समाप्त करना, समान लैगिक अनुपात स्थापित करना, बाल विवाह की कुप्रथा को रोकना, बालिकाओं के स्वास्थ्य व शिक्षा को प्रोत्साहन देना, बालिकाओं को स्वावलम्बी बनाने में सहायता प्रदान करना, बालिकाओं के जन्म के प्रति समाज में सकारात्मक सोच विकसित करना है।

महिला शक्ति केन्द्र

महिला शक्ति केन्द्र्र सरकार की प्रतिबद्वता है। यह योजना 2017 में शुरू की गई। इसके तहत दूरदराज के इलाकों में महिला शक्ति केन्द्र्र खोले गये है। राज्य स्तर पर महिलाओं को संसाधन सहयोग मुहैया कराया जाता है।इसमें राज्य सरकार जिले और ब्लाॅक स्तर पर भी महिलाओं से जुडे मुददोको लेकर केंन्द्र को सहयोग दिया जाता है। महिला शक्ति केन्द योजना के तहत बेटी बचाओं बेटी पढाओं के दायरे को भी बढाया जाता है।

मिशन शक्ति अभियान –

प्रदेश में महिलाओं तथा बच्चों के लिए जनपद हमीरपुर में महिलाओं तथा बच्चों की सुरक्षा सम्मान एवं स्वावलम्बन के लिए शारदीय नवरात्र से बासंतिक नवरात्र तक विभिन्न प्रकार के कार्यक्रमों का आयोजन तथा महिला कल्याण विभाग से संचालित योंजनाओं से लाभान्वित किये जाने का महत्वपूर्ण अभियान है।
अभियान का शुभारम्भ जनजागरूकता वाहनों को हरी झण्डी दिखाकर मा0 विधायकगण व डाॅ0 प्रियंका निरंजन विशेष सचिव लघु सिचाई जी द्वारा किया गया। अभी तक प्रत्येक माह में एक विशेष थीम पर अभियान चलाया गया।
थीम- उद्घाटन समारोह मेगा इवेन्टस (17 से 25 अक्टूबर)
थीम- बच्चों से सम्बन्धित अभियान (20 नवम्बर से 26 नवम्बर)
थीम- मानव तस्करी के विरूद्व अभियान महिला एवं बच्चों की तस्करी एवं बल पूर्वक भिक्षावृत्ति को रोकने हेतु (10 दिसम्बर से 16 दिसम्बर)
थीम- युवाओं को प्रशिक्षित करें का अभियान (24 जनवरी से 31 जनवरी 2021)
सामाजिक कुरीतियों के विरूद्व अभियान (11 फरवरी से 18 फरवरी 2021)
1-बेटी बचाओं बेटी पढाओं के प्रचार-प्रसार अन्तर्गत जनपद हमीरपुर में सभी थानों, तहसीलों व ब्लाको में महिला हेल्प डेस्क की स्थापना की गयी।
2-बेटी बचाओं बेटी पढाओं के अन्तर्गत सास्ंकृतिक कार्यक्रम, नुक्कड नाटक, पपेट शाॅ, का आयोजन किया गया तथा जेण्डर चेैम्पियन महिलाओं को सम्मानित किया गया।
3-राष्ट्रीय बालिका दिवस, गणतन्त्र दिवस, मतदाता दिवस, अनंता मेंगा इवेंट के अवसर पर कार्यक्रम का आयोजन किया गया जिसमे जिले के समस्त विभागों की प्रदर्शनी/स्टाल लगाकर शासन द्वारा संचालित योजनाओं की आमजनमानस को जानकारी दी गयी।
4-बेटी बचाओं बेटी पढाओं योजनान्तर्गत जनपद हमीरपुर में महिलाओं तथा बेटियों को सशक्त स्वावलम्बी तथा उनके बेहतर भविष्य के लिए जिले में जनजागरूकता कार्यक्रम किये गये तथा बेटियों के जन्म पर पूरे जनपद में लगभग 500 बेटियों का जन्मोत्सव मनाया गया तथा उनकी माताओं को बेटियों के बेहतर भविष्य तथा स्वास्थ्य के लिए मिठाई, कपडे, कम्बल, तथा बेबी किट आदि देकर सम्मानित किया।

किशोर न्याय बोर्ड (जे0जे0बी0)

किशोर न्याय अधिनियम 2015 की धारा 4 के अन्तर्गत प्रत्येक जनपद में कानून का उल्लघंन करने वाले बच्चों की देख रेख संरक्षण, शिक्षा समाज की मुख्य धारा में पुर्नवास के मामलों के निपटारा और मूलभूत आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए किशोर न्याय बोर्ड गठन करने का प्रावधान है। इस बोर्ड के पास दण्ड प्रक्रिया संहिता 1973 (1974 का 2) के तहत महानगर मजिस्ट्रेट या प्रथम वर्ग के न्यायिक मजिस्ट्रेट) एवं दो सदस्यों को संयुक्त रूप से मिलकर बनाई जाती है।

विशेष किशोर पुलिस इकाई (एस0जे0पीे0यू0)

किशोर न्याय अधिनियम 2015 की धारा 107 के अन्तर्गत बच्चों से संबन्धित पुलिस के सभी कार्य का समन्वय करने के लिए प्रत्येक जिले में विशेष किशोर पुलिस इकाई का गठन किया गया है। जिसका नेतृत्व उप पुलिस अधीक्षक या उसके ऊपर के रैंक का पुलिस अधिकारी होता है। प्रत्येक थानों मंे नामित बाल कल्याण पुलिस अधिकारी के साथ मिलकर दो समाजिक कार्यकर्ता व रेलवे पुलिस समन्वय के साथ कार्य करती है।

 181 महिला हेल्प लाइन-
उत्तर प्रदेश सरकार के महिला कल्याण विभाग द्वारा महिलाओं की मदद के लिये एक निशुल्क महिला हेल्प लाइन नबंर दिया गया है, जिस पर महिला कभी भी 247 काॅल कर के अपनी किसी भी प्रकार की समस्या बता सकती है व सहायता प्राप्त कर सकती है, जिनकी सहायता के लिये 181 की अनुभवी महिला टेली काउंसलर तत्पर रहती है। हेल्पलाइन के रेस्क्यू वैन के माध्यम से घटना स्थल पर पहुंचकर पीड़ित महिला को सहायता प्रदान की जाती है। रेस्क्यू वैन में प्रशिक्षित महिला सुगमकर्ता व महिला पुलिस कर्मी तैनात रहती हैं।

1098 महिला हेल्प लाइन.
पति की मृत्युपरांत निराश्रित महिला की पुत्री से विवाह हेतु अनुदान-
निराश्रित महिला पेंशन पा रही सभी वर्ग की निराश्रित विधवाओं की पुत्रियों की शादी हेतु निराश्रित पुत्री शादी अनुदान योजना महिला कल्याण विभाग द्वारा संचालित की जा रही है।
पात्रता- उत्तर प्रदेश की निवासी हो।
निराश्रित महिला पेंशन पा रही हो।
दस्तावेज-

  • आय प्रमाण पत्र
  • शादी का कार्ड
  • शादी की फोटो
  • आधार कार्ड
  • बैंक पासबुक

लाभ- निराश्रित महिला को पुत्री के विवाह हेतु 10000/- रूपये की सहायता राशि उपलब्ध करायी जाती है।

दहेज से पीड़ित महिलाओं को आर्थिक एवं कानूनी सहायता-
जिन महिलाओं का माननीय न्यायालय में दहेज उत्पीड़न का मुकदमा चल रहा हो उन महिलाओं को इस योजना के अन्तर्गत लाभ दिया जाता है।
पात्रता- ग्रामीण क्षेत्र में 46080/- एवं शहरी क्षेत्र में 56080/- रूपये से अधिक आय न हो।
दस्तावेज-
आय प्रमाण पत्र
आधार कार्ड
बैंक पासबुक
हलपनामा
माननीय न्यायालय द्वारा जारी किया गया दहेज से सम्बन्धित दस्तावेज
लाभ- प्रथम सालाना -2500 रूपये एवं प्रत्येक वर्ष (जब तक दहेज उत्पीड़न का मुकदमा चलेगा) पुनः आवेदन करने पर 1500 रूपये।

सखी वन स्टाॅप सेन्टर
महिलाओं की सुरक्षा एवं उनके सम्मान और अधिकार के लिए भारत सरकार द्वारा जनपद हमीरपुर में जिला प्रोबेशन कार्यालय से संचालित परियोजना जिसका उद्देश्य एक ही छत के नीचे महिलाओं को न्याय एवं सुविधाए दिलाना।
महिलाओं से सम्बन्धित केस के प्रकार-
1. घरेलू ंिहसा
2. छहेज उत्पीड़न
3.छेड़छाड
4.बलात्कार
5.अपहरण
6.मारपीट
7.एसिड अटैक
8.बाल-विवाह
9.मानव तस्करी
जनपद में किसी भी महिलाए एवं बालिकाओं के साथ किसी भी प्रकार की हिंसा हो रहीं है। (पति द्वारा महिला के साथ मारपीट एवं उत्पीड़न हो रहा है) और यदि किसी बालिका के विवाह होने के बाद उसको दहेज के लिए उत्पीड़न किया जा रहा है एवं किसी भी महिला के या बालिका के साथ किसी भी प्रकार की छेड-छाड हो रहीं है तो भारत सरकार द्वारा जिला प्रोबेशन कार्यालय से संचालित वन स्टाप सेन्टर योजना महिलाओं को निशुल्क सुविधा प्रदान की जा रहीं है।
महिलाओं को किसी भी प्रकार की समस्या के समाधान के लिए वन स्टाप सेन्टर के द्वारा दी जाने वाली सुविधाऐं
1. परामर्श सहायता
2.चिकित्सीय सुविधा
3. तत्काल पुलिस सहायता
4.पुलिस रिपोर्टिंग चैकी
5.रेस्क्यू सहायता
6.विधिक सहायता
7.अल्पावास
महिलाओं को परामर्श देना एवं दोनों प़क्षों को बुलाकर आपसी समझौता करवाना तथा किसी महिला के साथ मारपीट हुई है तो तत्काल मेडीकल सहायता एवं प्राथमिक उपचार कराया जाता है। साथ ही अगर महिला अपने पति के साथ ससुराल नहीं रहना चाहती, मुकदमा चाहती है। तो सम्बन्धित थाने से कार्यवाही करवाते हुये महिला को न्याय दिलवाना और अगर कोई महिला हम तक नहीं आ पाती है तो 112, 181 हेल्प लाइन सहायता दिलाते हुए कार्यवाही करवाना यदि महिलाओं से सम्बन्धित किसी भी केश की जानकारी के लिए उनके केस से सम्बन्धित उनको विधिक सहायता प्रदान करवाना इसके साथ ही वन स्टाप सेन्टर में 05 दिन का अल्पावास उन महिलाओं एवं बालिकाओं के लिये जो सी0डब्लू0सी0 के आदेश से /164 के बयान की आती है जब तक की उनकी कानूनी प्रकिया कही स्थायी रूप से ले जाने की नहीं हो पाती है ऐसी महिलाओं के लिये 05 दिन का अल्पावास भी उपलब्ध है।
24 घण्टे सेवा उपलब्ध टोल फ्री नम्बर महिला हेल्पलाइन नम्बर
जे महिलाएं एवं बालिकाए वन स्टाप सेन्टर आने में असमर्थ है वह तत्काल सुविधा हेतु 181 महिला हेल्प लाइन नम्बर से सहायता दिलायी जाती है।
आई0जी0आर0एस0 (जनसुनवाई पोर्टल) आनलाइन केसों को निस्तारण
वन स्टाप सेन्टर द्वारा जनसुनवाई पोर्टल पर महिलाओं की आयी शिकायतों का निराकरण दोनों पक्षों को बुलाकर समझौता करवाते हुये किया जाता है।

मुख्यमंत्री कन्या सुमंगला योजना-
महिला सशक्तिकरण राज्य सरकार की प्रतिबद्वता है उक्त के दृष्टिगत ही राज्य सरकार द्वारा कन्या सुमंगला योजना लागू किये जाने का निर्णय लिया गया है। कन्या सुमंगला योजना का मुख्य उद्देश्य कन्या भू्रण हत्या को समाप्त करना, समान लैंगिक अनुपात स्थापित करना, बाल विवाह की कुप्रथा को रोकना, बालिकाओं के स्वास्थ्य व शिक्षा को प्रोत्साहन देना, बालिकाओं को स्वाबलंबी बनाने में सहायता प्रदान करना, बालिका के जन्म के प्रति समाज में सकारात्मक सोच विकसित करना है।

उ0प्र0 मुख्यमंत्री बाल सेवा योजना-
महिला एवं बाल विकास विभाग निराश्रित महिलाओं एवं बच्चों के पुर्नवास एवं संरक्षण हेतु पूर्णतः प्रतिबद्य है। विगत एक वर्ष से देश-विदेश में कोविड-19 महामारी का प्रकोप लगातार बना हुआ है। उक्त के जोखिम में आने वाले ऐसे सभी बच्चों, जिनके माता/पिता अथवा दोनों की कोविड-19 महामारी के संक्रमण/प्रभाव से मृत्यु हो गई है तथा बच्चों के कोई करीबी अभिभावक न हो अथवा होने के बाद भी वह उन्हें अपनाना न चाहें या अपनाने में सक्षम न हो, के भरण-पोषण, शिक्षा, चिकित्सा आदि की व्यवस्था हेतु आर्थिक सहयोग प्रदान करना उ0प्र0 मुख्यमंत्री बाल सेवा योजना का मुख्य उद्देश्य है-
योजना की पात्रता हेतु अन्य शर्ते-
1. लाभार्थी अनिवार्य रूप से उत्तर प्रदेश का मूल निवासी हो।
2. एक परिवार के सभी(जैविक तथा कानूनी रूप से गोद लिये गये) बच्चों को योजना का लाभ मिल सकेगा।
3. 01 मार्च 2020 को या इसके बाद उपरोक्त 02 श्रेणियों मे आने वाले बच्चों को ही योजना का लाभ दिया जा सकेगा।
योजना के अन्तर्गत आवेदन हेतु आवश्यक अभिलेख-
4. पूर्ण आवेदन पत्र बच्चे व वर्तमान अभिभावक की नवीनतम फोटो सहित।
5. माता/पिता/दोनों जैसी भी स्थिति हो का मृत्यु का प्रमाणपत्र

प्रवर्तकता कार्यक्रम
प्रवर्तकता कार्यक्रम  के द्वारा बच्चों की चिकित्सीय, भरण पोषण एवं शैक्षिक आवश्यकताओं की पूर्ति हेतु परिवारों को अनुपूरक सहायता के रूप में धनराशि प्रदान की जायेगी, जिससे बच्चे के जीवन स्तर में गुणात्मक सुधार हो सके। बच्चें को किसी भी कारणों से स्कूल से विरत न किया जा सके और वह अनवरत शिक्षण प्राप्त कर सके।
पात्र बच्चों के चयन की विधिः-
प्रवर्तकता कार्यक्रम  के अन्तर्गत 0 से 18 वर्ष तक की आयु सीमा में से निम्नलिखित दोवर्ग श्रेणी के बच्चों पर विचार किया जा सकेगा।
1. प्रथम, ऐसे बच्चे, जिन्हें बाल गृहों से परिवार में पहुंचाकर पुनर्वासित किया गया है, को वित्तीयसहायता प्रदान किया जाना।
2. ऐसे बच्चे, जिन्हें परिवार की आर्थिक आवश्यकताओं की पूर्ति के लिये शिक्षा से विरत करते हुये बाल श्रम में योजित किया गया अथवा परिवार की आर्थिक अक्षमता के कारण बच्चों की देखभाल करने में असमर्थ होने के कारण परिवार द्वारा उन्हें बाल गृहों मंे प्रवेशित कराया गया है, को वित्तीय सहायता प्रदान किया जाना।
3. उपरोक्त उल्लेखित दोनों ही श्रेणी के वर्गो के परिवार की वार्षिक आय ग्रामीण क्षेत्रों मे अधिकतम रू0 46,080/- एवं शहरी क्षेत्रों में रू0 56,000/- से अधिक नहीं होनी चाहिये।
उपरोक्त उल्लेखित दोनों ही श्रेणी के अन्तर्गत आने वाले बच्चों को इस कार्यक्रम का लाभ उपलब्ध कराने में को निम्नलिखित प्रकार से वरीयता दी जायएगी यदिः-
4. बच्चे की माता पिता विधवा है अथवा बच्चा माता-विहीन है।
5. कुष्ठ/एच0आई0वी0 जैसे सघन रोग से संक्रमित है।
6. परिवार हेतु आय अर्जन करने हेतु तात्कालिक रूप में जीविकोपार्जन हेतु व्यवसाय अथवा नौकरी छूट गयी हो और आय का कोई अन्य श्रोत न हो।
7. विशेषीकृत आवश्यकता वाले मानसिक एवं शारीरिक रूप् से विकलांग बच्चे
8. बालश्रम से मुक्त कराकर परिवार में स्थापित किये गए बच्चे।
वित्तीय मानकः-
9. पात्रता की श्रेणी में आने वाले परिवार के अधिकतम दो बच्चों को प्रतिमाह रू0-2000 की सहायता धनराशि प्रदान की जायेगी।
10. यह सहायता अधिकतक 03 वर्ष तथा कम से कम 01 वर्ष की अवधि के लिए जैसा कि परिवार की आर्थिक परिस्थितियों पर निर्भर करेगा, प्रदान की जा सकेगी।
11. केन्द्र अथवा राज्य सरकार द्वारा संचालित किसी अन्य योजना में लक्ष्य में लाभ प्राप्त कर रहें परिवारों को उक्त योजना का लाभ नही दिया जा सकेगा।

एकीकृत बाल संरक्षण योजना (ICPS)

  • 2006 में महिला और बाल विकास मंत्रालय (MWCD) ने एकीकृत बाल संरक्षण योजना (ICPS) को अपनाने का प्रस्ताव रखा। 2009 में केंद्र सरकार ने इस योजना को अपनी मंजूरी दे दी और बच्चों को विकसित करने और फलने-फूलने के लिए सुरक्षा और सुरक्षित वातावरण प्रदान करने का व्यापक कार्य शुरू कर दिया है। योजना का उद्देश्य बच्चों को कठिन परिस्थितियों में प्रदान करना है, साथ ही साथ बच्चों को विभिन्न स्थितियों और कार्यों में जोखिम और कमजोरियों को कम करना है जो बच्चों को दुर्व्यवहार, उपेक्षा, शोषण, परित्याग और अलगाव के लिए प्रेरित करते हैं।
    योजना के विशिष्ट उद्देश्य हैं:
    आवश्यक सेवाओं को संस्थागत बनाना और संरचनाओं को मजबूत करना
    2. सेवा वितरण में शामिल सभी प्रणालियों और व्यक्तियों पर क्षमता बढ़ाने के लिए
    3. बाल संरक्षण सेवाओं के लिए डेटाबेस और ज्ञान का आधार बनाना
    4. परिवार और सामुदायिक स्तर पर बाल संरक्षण को मजबूत करना
    5. योजना के प्रभावी कार्यान्वयन को सुनिश्चित करने के लिए सरकारी संस्थानों और गैर-सरकारी संस्थानों के साथ समन्वय और नेटवर्क
    6. बाल अधिकारों, बाल भेद्यता और बाल संरक्षण सेवाओं के बारे में सार्वजनिक जागरूकता बढ़ाने के लिए।
    देखभाल, सहायता और पुनर्वास सेवाओं के भीतर यह योजना CHILDLINE सेवाएं प्रदान करेगी, शहरी और अर्ध-शहरी क्षेत्रों में जरूरतमंद बच्चों के लिए आश्रय, प्रायोजन, पालक-देखभाल, गोद लेने और देखभाल सेवाओं के सुधार के माध्यम से परिवार आधारित समाधान प्रदान करेगी, संस्थागत सुधार सेवाओं, और आवश्यकता आधारित / नवीन हस्तक्षेपों के लिए सामान्य अनुदान-इन-सहायता। वैधानिक सहायता सेवाओं के भीतर योजना सीडब्ल्यूसी, जेजेबी, एसजेपीयू के सुदृढ़ीकरण के लिए कॉल करती है, साथ ही प्रत्येक जिले में इन सेवाओं को स्थापित करने के लिए भी देखती है। इसके अलावा ICPS परामर्श सेवाओं, प्रशिक्षण और क्षमता निर्माण, ज्ञान-आधार को मजबूत करने, बाल अध्ययन प्रणाली का संचालन करने, प्रबंधन करने और प्रबंधन करने, वकालत और सार्वजनिक शिक्षा कार्यक्रम चलाने और निगरानी करने के लिए मानव संसाधन विकास की आवश्यकता को रेखांकित करता है। योजना का मूल्यांकन।आईसीपीएस के उद्देश्यों और दृष्टिकोणों को पूरा करने के लिए, योजना एक वितरण सेवा ढांचे के भीतर नए निकायों की स्थापना के लिए भी कहती है।
    राष्ट्रीय स्तर पर हैं:
    1. चिल्ड्रन इंडिया फाउंडेशन- राष्ट्रीय जन सहयोग और बाल विकास संस्थान (NIPCCD) में मुख्यालय बाल संरक्षण प्रभाग
    2. केंद्रीय दत्तक ग्रहण संसाधन एजेंसी (CARA)
     क्षेत्रीय स्तर पर निम्न हैं:
    1. राष्ट्रीय जन सहयोग और बाल विकास संस्थान (NIPCCD) के चार क्षेत्रीय केंद्रों में बाल संरक्षण प्रभाग 2. चाइल्डलाइन फाउंडेशन (CIF) के चार क्षेत्रीय केंद्र
      राज्य स्तर पर हैं:
    1. राज्य बाल संरक्षण सोसाइटी (SCPS)
    2. राज्य दत्तक ग्रहण संसाधन एजेंसी (SARA)
    3. राज्य बाल संरक्षण समिति (SCPC)
    4. राज्य दत्तक सलाहकार समिति
      जिला स्तर पर हैं:
    1. जिला बाल संरक्षण सोसायटी (DCPS)
    2. जिला बाल संरक्षण समिति (DCPC)
    3. प्रायोजन और पालक देखभाल अनुमोदन समिति (SFCAC)
      ब्लॉक और ग्राम स्तर पर हैं:
    1. ब्लॉक स्तरीय बाल संरक्षण समिति
    2. ग्राम स्तरीय बाल संरक्षण समिति